सीएम केजरीवाल के ड्राइवर के पास ही नहीं है ड्राइविंग लाइसेंस
नई दिल्ली:- आम आदमी पार्टी सरकार ने पार्टी कार्यकर्ताओं और सहयोगियों को नौकरी देने के लिए कायदे कानून ही नहीं जरूरी स्किल में भी छूट दी है। मुख्यमंत्री कार्यालय और मंत्रियों से जुड़े चालकों के पास कॉमर्शियल लाइसेंस नहीं है तो एक क्लर्क को निर्धारित टाइपिंग स्किल नहीं है।
किसी को पढ़ाई पूरी करने, किसी को कॉमर्शियल लाइसेंस बनवाने तो किसी को टाइपिंग सीखने के लिए 3 महीने से लेकर एक साल तक छूट दी गई है। इसमें मुख्यमंत्री के चालक रोहित का नाम भी शामिल है। पार्टी के तीन सहयोगियों को सलाहकार बनाकर 1.15 लाख रुपये की नौकरी दी तो कुछ की नियुक्ति एक रुपये मासिक वेतन पर करके उन्हें वाहन और कार्यालय की सुविधा दी है।
टाइपिंग नहीं आती, मिली क्लर्क की नौकरी
हालांकि इससे अधिक पदों की स्वीकृति और पूर्व मुख्यमंत्री के पास इससे अधिक कर्मियों की तैनाती का जिक्र भी किया गया है। भाजपा विधायक ओपी शर्मा ने रोजगार मंत्री से यह प्रश्न पूछा था कि दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के साथ कितने कर्मचारी को टर्मिनस, डाइवर्टेड कैपसिटी, कांट्रैक्ट व वालेंटियर के पद पर, भर्ती के लिए नियमों में क्या छूट मिली है।
इसके जवाब में बताया गया कि सीएमओ में कुल 199 लोग कार्यरत है। ड्राइवर के पद पर तीन ऐसे लोगों की नियुक्ति हुई है जिन्हें इस शर्त पर नियुक्ति मिली है कि वे तीन महीने, छह महीने और एक साल में लाइसेंस प्राप्त करेंगे।
सीएमओ में कई लोगों को कांट्रैक्ट पर भी रखा गया है। इसमें मीडिया एफेयर, ग्रिवांस एडवाजर और पोलिटकल एडवाइजर का वेतन 1,15,881 रुपया प्रति माह निर्धारित किया गया है। कानून मंत्री व उप मुख्यमंत्री के मीडिया एडवाइजर को 60 हजार रुपया प्रतिमाह दिया जा रहा है।
इसी तरह मुख्यमंत्री के निजी सचिव, संयुक्त सचिव, ओएसडी और उपमुख्यमंत्री के दो ओएसडी और चालक को मकान दिया गया है। मुख्यमंत्री के जन शिकायत सलाहकार, मीडिया सलाहकार, संयुक्त सचिव को कार्यालय व गाड़ी मिली हुई है।