दिल्ली:- टीम इंडिया 15 दिन पहले तक बांग्लादेश में थी और उस समय वह वनडे सीरीज खेलने की तैयारियों में व्यस्त थी, लेकिन जब सीरीज शुरू हुई तो भारत को पहले मैच में अप्रत्याशित रूप से हार मिली और इसके बाद अगले मैच में कप्तान धोनी ने टीम में कई बदलाव किए हालांकि इसका फायदा टीम को नहीं मिला और उसे मेजबान के हाथों एक और हार का सामना करना पड़ा।
लगातार दो हार से भारत ने पहली बार बांग्लादेश के हाथों वनडे सीरीज गंवा दी, लेकिन धोनी ने अंतिम दो मैचों में बल्लेबाज रहाणे को बाहर रखा। हार से ज्यादा धोनी की आलोचना इस फैसले को लेकर भी हुई कि उन्होंने इनफॉर्म बल्लेबाज रहाणे को टीम से बाहर क्यों रखा। टेस्ट कप्तान विराट कोहली ने भी अप्रत्यक्ष रूप से धोनी के इस फैसले की आलोचना की।
खैर, इस सीरीज के बाद टीम इंडिया को जिम्बाब्वे का दौरा करना था, पहले यही टीम अफ्रीका का दौरा करने वाली थी लेकिन कुछ विवादों के कारण बीसीसीआई ने दोयम दर्जे की टीम भेजने का ऐलान कर दिया। सभी को यह उम्मीद थी कि इस दौरे के लिए धोनी और कोहली को आराम दिए जाने की सूरत में टीम इंडिया की कमान सुरेश रैना या रोहित शर्मा को सौंप दी जाएगी।
लेकिन भारतीय चयनकर्ताओं ने सभी को चौंकाते हुए अजिंक्य रहाणे को कमान सौंप दी। अब यह लाख टके का सवाल बन गया है जिस खिलाड़ी को पिछले दो मैचों में टीम के अंतिम एकादश में नहीं रखा गया उसे अचानक टीम की कमान ही सौंप दी गई। आइए, जानते हैं बीसीसीआई ने रहाणे को क्यों बनाया टीम इंडिया का अगला वनडे कप्तान। क्या है इसके पीछे का छुपा राज?
बीसीसीआई के इस फैसले ने दिखा दिया कि वह ही अब भी भारतीय क्रिकेट में सर्वेसर्वा है और कभी भी कोई फैसला ले सकती है, कोई भी खिलाड़ी यह समझने की भूल न करे कि वही सबसे बड़ा स्टार है और जो चाहेगा वही होगा। इस फैसला का पहला सबक भारतीय टीम के वनडे कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को दिया गया है जो पिछले साल के अंत में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद वनडे और टी-20 टीम की कमान ही उनके पास है। विदेशी धरती पर लगातार हार के बाद वह टीम के कप्तान बने हुए हैं।
लेकिन एक हफ्ते पहले ही बांग्लादेश के खिलाफ खेली गई वनडे सीरीज में उनकी कप्तानी में टीम इंडिया को करारी हार मिली थी। दूसरे मैच में हार के बाद धोनी ने कप्तानी छोड़ने की बात भी कही थी। बांग्लादेश के खिलाफ पहली बार वनडे सीरीज गंवाने के बाद बोर्ड ने उनके बारे में अभी कोई फैसला नहीं लिया है। हालांकि वह टीम की हार से ज्यादा धोनी के फैसलों से नाराज है। वह पहले भी अपनी मर्जी से बड़े फैसले लेते रहे हैं।
उसके पीछे उनके ऊपर बोर्ड अध्यक्ष एन श्रीनिवासन का हाथ था लेकिन अब उनकी सत्ता नहीं रही, ऐसे में बीसीसीआई धोनी के उड़ान पर कुछ अंकुश लगाना चाहती है। खासकर उस फैसले के बाद जिसमें उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ अंतिम दो मैचें में अजिंक्य रहाणे को अंतिम एकादश में नहीं रखा था। रहाणे लगातार रन बनाते रहे हैं खासकर विदेशी सरजमीं पर। उनके निकाले जाने के बाद बोर्ड ने उन्हें कड़ संदेश दिया है।
कभी श्रीनिवासन के बीसीसीआई अध्यक्ष रहते टीम चयन में अपना पूरा दखल रखने वाले धोनी की अब बोर्ड में पूछ नहीं रह गई है। मुख्य चयनकर्ता संदीप पाटिल और बोर्ड सचिव अनुराग ठाकुर ने जिम्बाब्वे दौरे के लिए मुंबई के बल्लेबाज रहाणे को कप्तान बनाकर यह बात साफ कर दी है। धोनी ने अंतिम दो वनडे में टीम में यह कहकर रहाणे को जगह नहीं दी थी कि वह छोर नहीं बदलते हैं। इसके ठीक उलट पाटिल ने रहाणे को पिछले दो सालों का सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज करार देते हुए उनकी तारीफों के पुल बांध देश को वनडे टीम का नया कप्तान दे दिया।
अजिंक्य रहाणे को वनडे कप्तान बनाने के पीछे दूसरा राज है विराट कोहली को कड़ा संदेश देना। कोहली को ही स्वाभाविक रूप से महेंद्र सिंह धोनी के बाद टीम इंडिया का अगला कप्तान माना जा रहा है। लेकिन कोहली इन दिनों मैदान से बाहर अपने बेवजह बयानों से लगातार चर्चा में रहे हैं। इस तरह से भारतीय चयनकर्ताओं ने यह कदम उठाकर मैदान में कम और बाहर ज्यादा सुर्खियों में रहने वाले कोहली को भी इशारों में सबक दिया है। चयनकर्ताओं का मतलब साफ है कि उनके पास वनडे में कप्तानी के विकल्प मौजूद हैं।
कोहली के उलट रहाणे भी धोनी की तरह कूल रहते हैं और अनावश्यक बयानबाजी नहीं करते। रहाणे एक बेहतरीन बल्लेबाज भी हैं और उनकी कप्तानी क्षमता टेस्ट करने का यही बेहतर मौका भी था। हो सकता है कि बोर्ड एक संयमित खिलाड़ी के रूप में टीम का कप्तान चाहते हों ताकि अनावश्यक की लड़ाई-झगड़े या बहसबाजी में टीम को शर्मसार न होना पड़े। कोहली जिस तरह से व्यवहार करते हैं उससे वह कभी भी टीम के लिए मुसीबत बन सकते हैं।
कप्तानी पूल तैयार करने के साथ-साथ बोर्ड कोहली को यह संदेश भी देना चाहता हो कि वह अपने आक्रामक तेवर को सिर्फ मैदान पर दिखाएं, जुबानी जंग में नहीं। हालांकि इस दौरे के लिए धोनी और कोहली समेत सात वरिष्ठ खिलाड़ियों को खुद उनके कहने पर आराम दिया गया है। टीम इंडिया के ये बड़े सितारे पिछले साल दिसंबर से ही लगातार क्रिकेट खेल रहे थे और छुट्टी पर जाना चाहते थे जिससे वह श्रीलंका दौरे के लिए खुद को तरोताजा रख सके।
इसके अलावा एक कारण यह भी है कि श्रीनिवासन युग के खत्म होने के बाद एक बार फिर से बीसीसीआई में मुंबई की लॉबी हावी होती नजर आ रही है। टीम के क्रिकेट डायरेक्टर रवि शास्त्री भी मुंबई के हैं जबकि उनके अलावा टीम कप्तानी की रेस में रोहित शर्मा अकेले उम्मीदवार थे अब रहाणे भी इस रेस में आ गए हैं। रोहित ने आईपीएल में मुंबई इंडियंस को 3 साल में दो बार चैंपियन बनाकर कप्तानी कर अपनी कप्तानी क्षमता साबित भी कर दी है।
मुख्य चयनकर्ता संदीप पाटिल ने रहाणे के बारे में कहा कि जिस तरह उनका करियर बढ़ रहा है चयनकर्ताओं को इसकी खुशी है। वह पिछले दो सालों में सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज रहे हैं। चयनकर्ता उनके साथ खड़े हैं और उनके अंदर के दूसरे पक्षों पर भी नजर डालना चाहते हैं, इसी लिए उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। पाटिल के इस बयान से साफ है कि उन्होंने धोनी के फैसले को कोई तवज्जो नहीं दी।
बीसीसीआई सचिव अनुराग ठाकुर और पाटिल ने कहा कि भारतीय क्रिकेट टीम के ड्रेसिंग रूम का माहौल अच्छा है। उन्होंने कहा कि नियमित ओवर के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और टेस्ट कप्तान विराट कोहली के बीच फूट की खबर बकवास है। बांग्लादेश के खिलाफ वनडे सीरीज में मिली शर्मनाक हार के बाद जब कोहली ने कप्तान धोनी द्वारा मैदान पर लिए गए फैसले पर सवाल उठाया तो मीडिया में हवा उठी कि ड्रेसिंग रूम को माहौल अच्छा नहीं है और खिलाड़ियों में फूट की खबर को तूल दिया गया। लेकिन पाटिल ने जोर देकर कहा कि टीम बंटी हुई नहीं है।
पाटिल ने कहा, "इसमें कोई दुविधा नहीं है। सच्चाई है कि हमें कभी ऐसा नहीं लगा कि टीम में फूट है। विक्रम राठौड़ और रोजर बिन्नी बांग्लादेश दौरे पर टीम के साथ थे और हम टीम प्रबंधन के साथ लगातार संपर्क में थे। यह मनगढ़ंत कहानी है। लोगों को मैच के बाद की बयानों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। कई ऐसी प्रतिक्रियाएं हैं, जो सुनने को मिलती है। ऐसे मसलों पर हम ध्यान नहीं दे रहे हैं। हमारे ध्यान जिम्बाब्वे दौरे पर है।"