अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष का पहला डिफॉल्टर 'अमीर' देश ग्रीस
नई दिल्ली:- अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) ने ग्रीस को तय समय सीमा के भीतर कर्ज न चुका पाने के कारण डिफॉल्टर घोषित कर दिया है। इसके चलते ग्रीस डिफॉल्टर बनने वाला दुनिया का पहला विकसित देश बन गया है। वह डेडलाइन के अंदर कर्जे का 1.5 बिलियन यूरो आईएमएफ को वापस करने में विफल रहा है। वहीं, ग्रीस संकट के दुनिया पर असर के अंदेशे से भारत सरकार भी सतर्क हो गई है। माना जा रहा है कि बुधवार को दुनिया भर के बाजार इससे प्रभावित हो सकते हैं।
आईएमएफ के फंड प्रवक्ता गेरी राइस के मुताबिक, मैं इस बात की पुष्टि करता करता हूं कि आईएमएफ को आज की डेडलाइन तक ग्रीस से पैसे वापस नहीं मिले। हमने अपने एग्जिक्युटिव बोर्ड को सूचना दे दी है कि ग्रीस पर बहुत बकाया हो गया है और उसे आईएमएफ से पैसे तभी मिल सकते हैं, जब वह बकाया चुका दे। गौरतलब है कि इससे पहले ग्रीस ने यूरोपीय यूनियन से अपने बेलआउट फाइनैंसिंग डील को बढ़ाने की गुहार लगाई, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ।
इस संकट के भारतीय शेयर व अन्य वित्तीय बाजारों पर पड़ने वाले संभावित असर को देखते हुए वित्त मंत्रालय और रिजïर्व बैंक की टीम पूरे हालात पर पैनी नजर रखने को तैयार है। परंपरा को तोड़ कर रिजर्व बैंक ने भी बुधवार यानी एक जुलाई को अपने कार्यालय खुले रखने का फैसला किया है। सालाना बंदी की वजह से आम तौर पर रिजïर्व बैंक एक जुलाई को बंद रहता है।
यूरोप के समय के मुताबिक मंगलवार को आधी रात तक ग्रीस को यूरोपीय संघ और मुद्राकोष की शर्तों को मानना था। इसके तहत आर्थिक सुधार करने होंगे और जनमत संग्रह में 'हां' पर वोटिंग के लिए समर्थन देना था। इन शर्तों के मानने के बाद ही उसे आइएमएफ के 1.7 अरब डॉलर के कर्ज को चुकाने का दूसरा मौका मिल सकता था। इस कर्ज को चुकाने की आखिरी तारीख 30 जून थी। मगर ग्रीस ने शाम तक अपने रुख को और कड़ा करते हुए इन शर्तों को मानने से मना कर दिया। प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास ने लोगों से जनमत संग्रह में यूरोपीय संघ के प्रस्ताव को खारिज करने की अपील की है।
गेंद ग्रीस सरकार के पाले में
जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने ग्रीस के साथ और वार्ताओं से इन्कार कर दिया है। यूरोपीय संघ ने कहा है कि गेंद पूरी तरह से ग्रीस सरकार के पाले में है। ग्रीस मुद्राकोष के कर्ज चुकाने में विफल रहा तो उसे न सिर्फ यूरो जोन से बाहर कर दिया जाएगा, बल्कि यूरोपीय संघ से भी निकाला जा सकता है। ग्रीस को डिफॉल्टर देश घोषित किए जाने से इसका पूरी दुनिया पर असर पड़ने का अंदेशा है।
भारत में दो तरह की चिंताएं
भारत में अभी दो तरह की चिंताएं हैं। पहली, शेयर बाजार से तेजी से विदेशी संस्थागत निवेशक बाहर नहीं जाएं। दूसरी, रुपये की कीमत में भारी अस्थिरता न हो। अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता कि हालात कैसे होंगे, इसलिए स्थिति से निपटने की तैयारी है। रिजïर्व बैंक के कार्यालय बुधवार को खुले रहने से निगरानी और समय पड़ने पर हस्तक्षेप करने का काम आसान रहेगा। हालांकि उद्योग जगत और अर्थशास्त्री भी यह मान रहे हैैं कि भारत पर ग्रीस संकट का बहुत बड़ा असर नहीं होगा। सीआइआइ के महासचिव चंद्रजीत बनर्जी का कहना है कि भारत को खास चिंता की जरूरत नहीं है। विदेशी मुद्रा के विशाल भंडार और चालू खाते में घाटे की स्थिति ठीक होने से हम रुपये की कीमत को संभालने की स्थिति में है।