दिल्ली:- ग्रीस के आर्थिक संकट ने यूरोपीय देशों के साथ-साथ दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में आशंका और भय का माहौल पैदा कर दिया है। ग्रीस द्वारा मंगलवार तक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के 1.6 अरब डॉलर का कर्ज लौटाने से इनकार करने और ऋणदाताओं व यूरोजोन के बीच बातचीत टूटने के बाद संकट पैदा हो गया।
ग्रीस के प्रधानमंत्री एलिक्सिस सिप्रास ने सोमवार से सभी बैंकों को एक हफ्ते तक बंद रखने का आदेश दे दिया है। इसके साथ ही एटीएम मशीनों से पैसा निकालने पर भी पाबंदियां लगा दी गईं है। संकट के चलते सोमवार को भारत समेत एशियाई बाजारों में गिरावट के साथ कारोबार हुआ, जबकि यूरोपीय बाजारों का हाल भी निराशाजनक रहा।
अमेरिका, जर्मनी और बेल्जियम में भी भय का माहौल है। इस बीच, भारत सरकार ने कहा है कि इस संकट का सीधे तौर पर देश की अर्थव्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन उद्योग जगत के जानकारों का मानना है कि इससे यूरोपीय देशों को इंजीनियरिंग और सॉफ्टवेयर निर्यात प्रभावित हो सकता है। आइए जानते हैं कि ग्रीस के आर्थिक संकट से भारत पर क्या असर पड़ेगा।
देश के वित्त सचिव राजीव महर्षि का कहना है कि ग्रीस संकट से घबराने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसका कोई सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ेगा। संकट की वजह से सोमवार की सुबह भारतीय शेयर बाजारों में जो कोहराम मचा, उस पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि इस बारे में वह रिजर्व बैंक से संपर्क में हैं और स्थिति की समीक्षा की जा रही है।
सोमवार को सुबह के सत्र में बांबे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में संवेदी सूचकांक के 600 से भी ज्यादा अंक गोता खा गया था, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में भी इसी अनुपात में सूचकांक गिर था। इसके बाद संवाददाताओं से बातचीत में केंद्रीय वित्त सचिव ने कहा कि ग्रीस के आर्थिक संकट का असर भारतीय बाजार पर सीधे तौर पर तो नहीं होगा, लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर इसका असर दिखाई देगा। उनका कहना है कि ग्रीस संकट के चलते भारतीय बाजार में विदेशी निवेशक पैसा निकाल सकते हैं और सरकार इस स्थिति से निपटने के लिए रिजर्व बैंक के साथ विचार-विमर्श कर रही है।
राजीव महर्षि ने कहा कि यूरोप में यदि ग्रीस के संकट की वजह से ब्याज दरों में बढ़ोतरी होती है तो जाहिर है कि इससे अन्य देश भी प्रभावित होंगे। उनका इशारा था कि यदि यूरोप में ब्याज दरें बढ़ीं तो विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजारों से पैसा निकाल सकते हैं। हालांकि उन्होंने इस बात को कई बार दोहराया कि ग्रीस संकट का सीधा असर भारत पर नहीं पड़ेगा। उनके मुताबिक यूरोपीय बाजारों में निवेशकों का रुझान बढ़ने और भारतीय बाजारों से पूंजी निकालने के चलते अप्रत्यक्ष असर जरूर देखने को मिलेगा।
विशेषज्ञों की मानें तो भारतीय अर्थव्यवस्था पर ग्रीस संकट का कोई खास असर नहीं होगा। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अर्थशास्त्री डीके जोशी के अनुसार, ग्रीस संकट से वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित होने से भारत पर असर तो होगा लेकिन खास नहीं। जोशी के अनुसार, भारतीय रुपये में अस्थिरता देखने को मिल सकती है।
आईसीआईसीआई बैंक की मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर चंदा कोचर ने कहा, ‘यूरोप में हमारा कोई निवेश नहीं है और नहीं हमने वहां की किसी कंपनी को फाइनेंस किया है। इसलिए, ग्रीस संकट से बैंक पर किसी तरह के प्रभाव पड़ने का सवाल ही नहीं उठता।’
सीएनआई रिसर्च के सीएमडी किशोर ओस्तवाल ने कहा, ‘ग्रीस संकट लंबे समय से चल रहा है और यह बाजार के लिए नया नहीं है। अगर ग्रीस डिफॉल्ट करता है तो वैश्विक बाजार प्रभावित होंगे और भारत भी इससे अछूता नहीं रहेगा। हालांकि, भारतीय शेयर बाजार में इस कारण बहुत भारी गिरावट आने की संभावना काफी कम है।’
दूसरी तरफ, एसएमसी ग्लोबल और रेलिगेयर सिक्योरिटीज में रिसर्च हेड रह चुके राजेश जैन का कहना है कि ग्रीस संकट से वैश्विक बाजार बुरी तरह प्रभावित होगा। उन्होंने कहा, ‘अगर ग्रीस को राहत नहीं मिलती है तो उसके बॉन्ड में निवेश करने वालों के पैसे डूबेंगे। इसका व्यापक असर होगा। अगर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में अफरा-तफरी मचती है तो निफ्टी लुढ़क कर 7600-7700 के स्तर तक आ सकता है। भारतीय बाजार से विदेशी निवेशक निकासी करने लग सकते हैं।’
उद्योग चैंबर एसोचैम ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ग्रीस को लेकर केंद्रित नहीं है लेकिन अगर ग्रीस कर्ज अदायगी में डिफाल्ट करता है और यह स्थिति यूरोप में संकट के तौर पर उभर कर आती है तो भारत में भी बाकी दुनिया की तरह संकट का प्रभाव महसूस किया जा सकता है।
एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल डीएस रावत ने कहा कि 355 अरब डॉलर से अधिक विदेशी मुद्रा भंडार के साथ सबसे तेज गति से विकास करने की संभावनाओं के साथ भारत ग्रीस संकट से उपजे किसी भी दबाव का सामना करने में सक्षम है। हालांकि चिंताजनक बात यह है कि भारत के वस्तुओं के निर्यात की स्थिति इस वर्ष मजबूत नहीं दिख रही है और अगर यूरोप में संकट पैदा होता है तो निर्यात संभावनाओं के मोर्चे पर स्थिति और खराब होगी।
ग्रीस ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 1.6 अरब डॉलर का कर्ज लिया था, जिसे मंगलवार 30 जून तक चुकाना है। ग्रीस इस धनराशि को चुका पाने की हालत में नहीं है और कर्ज चुकाने के लिए और अधिक वक्त चाहता है। ग्रीस और कर्ज की मांग भी कर रहा था। लेकिन यूरोपीय देश व आईएमएफ का दबाव था कि ग्रीस आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाए। इसके लिए ग्रीस के इनकार के बाद यूरोजोन ने ग्रीस को आपात सहायता से हाथ खींच लिए।
क्या होता ऐसा संकट आने पर
किसी भी देश में अर्थ व्यवस्था का संकट गहराने पर निवेशक अपना पैसा निकाल लेते हैं। निवेशक सोना या डॉलर में निवेश को वरीयता देते हैं। ऐसे में डॉलर के मुकाबले पैसा निकालने वाले देश की मुद्रा कमजोर होती है। कमोडिटी वस्तुओं के दाम पर असर पड़ता है। सीधे तौर पर आयात प्रभावित होता है और इसका असर उसी अनुपात में संबंधित देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।