संजय पांडेय/अनूपपुर: अनूपपुर जिले में एक ओर विद्युत विभाग के कर्मचारी अटल ज्योति अभियान को कलंकित करने में लगे हुए हैं वहीं जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में भारी जल संकट देखने को मिल रहा है। लोग अर्धरात्रि से हैण्डपंप के पास पानी के लिए लाईन लगाते देखे जा सकते हैं। गौरतलब है कि गर्मी प्रांरभ होते ही प्रत्येक वर्ष जिले के लोग जलसकंट से जूझने लगते हैं। हैण्डपंप, नदी, नाले, तालाब, कुआं की हालत बिगड़ जाती है वहीं जिले की तमाम बड़ी नदियों सोन, तिपान, केवई, बकान, चंदास, गोडारू, केरहा में अवैध और अनियंत्रित रेत उत्खनन से तमाम नदियों की सांसे टूटती जा रही है। आमजन अपने उपयोग के लिए पानी की कोई उचित व्यवस्था तो कर ले रहा है लेकिन पशु-पक्षियों को पीने के लिए भरपेट पानी नहीं मिल पा रहा है। शासन-प्रशासन एवं अन्य समाजसेवियों द्वारा प्रत्येक वर्ष करोड़ो रूपये व्यय कर पानी रोको अभियान का दिखावा किया जाता है पर जैसे ही मार्च-अप्रैल का माह बीता नहीं कि जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में पानी के लिए हाहाकार मच जाता है। नदी, तालाब, कुआं, हैण्डपंप, बउली मरणासन्न हालत में देखने को मिल रहे हैं। जलसंकट को देखते हुए जिले के शहरी क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष करोड़ो रूपये खर्च कर दिए जाते हैं कि आने वाले समय में जलसंकट से न जूझना पड़े लेकिन हालात विगत कई वर्षों से जस की तस बनी हुई है। शासन-प्रशासन के सभी नियम कानून सिर्फ दिखावा बनकर रह गए हैं। जिम्मेदार अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि पानी रोको अभियान में सिर्फ अपनी फोटो खिचवाने तक सीमित रह गए हैं।
जल रोको अभियान सिर्फ दिखावा
शासन-प्रशासन एवं अन्य समाजसेवियों द्वारा पानी रोको, पानी बचाओ अभियान के प्रचार-प्रसार एवं हकीकत के नाम पर लाखों करोड़ो रूपये व्यय कर दिए जाते हैं फिर भी न पानी रूकता न ही बचाया जा सकता है। नदी-नालों की साफ-सफाई कर लोग अपना नाम कमाने में लगे रहते हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और देखने को मिल रहा है।
स्टॉप डैम के गेट नहीं होते बंद
जिले के पुष्पराजगढ़, कोतमा, अनूपपुर, जैतहरी अंतर्गत लगभग हजारों स्टॉप डैंम का निर्माण विगत कई वर्षो से हो रहा है लेकिन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी, समाजसेवी व ग्राम पंचायत सरपंच/सचिवों द्वारा स्टॉप डैंम के गेट बंद नहीं किए जाते जिसके चलते नदियों में बने स्टाप डैंमों में बूंद भर पानी देखने को नहीं मिल रहा। ग्राम पंचायत के सरपंच/सचिवों के घर के आसपास स्टॉप डैंम के गेट लवारिस पड़े रहते है लेकिन उसे पानी रोको अभियान में उपयोग नहीं किया गया।
कॉलरी क्षेत्र में बह रहा हजारों गैलन पानी
जिले के कोयलांचल क्षेत्र संजयनगर, धनपुरी, जमुना, हरद, भालूमाडा, राजनगर, रामनगर, कपिलधारा क्षेत्र की खदानों से हजारों गैलन पानी प्रतिदिन लवारिस बहते रहता है फिर भी कॉलरी प्रबंधन द्वारा कोयलांचल क्षेत्र के नदी-नालों एवं तालाब में भंडारण नहीं किया जाता अगर बहते हुए लवारिस पानी को नजदीकी नदी-तालाबों में भर दिया जाता तो पशु-पक्षियों के पीने हेतु पर्याप्त पानी मिलते रहता।
हैवी पंप लगाकर किया जाता है पानी का दुरूपयोग
जिले की जीवन रेखा कहे जाने वाली सोन, तिपान, केवई एवं अन्य नदियों में बड़े-बड़े डीजल एवं विद्युत पंप रखकर धडल्ले से खेत सिंचाई व भवन निर्माण में पानी का दुरूपयोग किया जा रहा है। कहीं पीने के लिए पानी नही मिल रहा वहीं निर्माण एजेंसियों द्वारा नदी-नालों के पानी का दुरूपयोग खुलेआम किया जा रहा है।