महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव का शनिवार को औपचारिक ऐलान हो सकता है. चुनाव आयोग के ऐलान के साथ ही दोनों राज्यों में चुनावी आचार संहिता लागू हो जाएगी. महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार है. जबकि हरियाणा में बीजेपी अपने दमपर सरकार में है. बीजेपी एक बार फिर दोनों राज्यों में कमल खिलाने की कवायद में है. वहीं, विपक्षी दल सत्ता में वापसी के लिए बेताब नजर आ रहे हैं.
हरियाणा का सियासी मिजाज
हरियाणा की कुल 90 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करीब एक करोड़ 83 लाख मतदाता करेंगे. इसमें 98 लाख 33 हजार 323 पुरुष और 84 लाख 65 हजार 152 महिला वोटर्स हैं.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में बीजेपी लगातार दूसरी बार सत्ता में आने की कवायद में जुटी है. बीजेपी मिशन-75 प्लस के लक्ष्य को लेकर चल रही है. वहीं, कांग्रेस ने चुनाव से ऐन वक्त पहले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा को आगे रखा है और इनके जरिए सत्ता में वापसी करने को बेताब है. कांग्रेस ने दलित-जाट कार्ड खेला है.
इसके अलावा अभय चौटाला की इनेलो और दुष्यंत चौटाला की जेजेपी के बीच दो धड़ों में बंटा चौटाला परिवार अपने राजनीतिक वजूद को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है. वहीं, मायावती ने सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और योगेंद्र यादव की स्वराज इंडिया पार्टी भी चुनावी मैदान में हैं.
हरियाणा का समीकरण
हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 33.20 फीसदी वोट के साथ 47 सीटें जीतने में कामयाब रही थी और सत्ता की कमान पार्टी ने मनोहर लाल खट्टर को सौंपी थी. जबकि कांग्रेस 24.20 फीसदी वोट के साथ 17 सीट, इनेलो 24.10 फीसदी वोट के साथ 19 सीट, बसपा 4.40 फीसदी वोट के साथ एक सीट और अकाली दल ने 0.60 फीसदी वोट के साथ एक सीट जीती थी. वहीं, 10.60 फीसदी वोट के साथ पांच सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीतने में कामयाब रहे थे
महाराष्ट्र का सियासी माहौल
भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में चुनावी जंग फतह करने उतरी है. इस बार के चुनाव में बीजेपी-शिवसेना मिलकर किस्मत आजमा रही हैं और साथ में आरपीआई सहित कई छोटे दल भी गठबंधन में शामिल हैं. लेकिन शिवसेना और बीजेपी के बीच अभी तक सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय नहीं हो सका है. बीजेपी महाराष्ट्र में 220 प्लस सीट जीतने का टारगेट लेकर चल रही है
कांग्रेस-एनसीपी एक बार फिर मिलकर महाराष्ट्र की सत्ता में वापसी के लिए बेताब हैं. दोनों दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर फॉर्मूला भी तय हो गया है. कांग्रेस-एनसीपी ने 125-125 सीटों पर लड़ने का फैसला किया है और बाकी 38 सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ने का फैसला किया है. इसके अलावा प्रकाश आंबेडकर की बहुजन घाड़ी दलित मतों के सहारे तीसरी ताकत के रूप में उभरना चाहती है. इसके अलावा ओवैसी की पार्टी AIMIM ने मुस्लिम बहुल सीटों पर चुनावी ताल ठोककर कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की नींद उड़ा दी है.
राजनीतिक समीकरण
महाराष्ट्र में कुल 288 विधानसभा सीटें हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव के नतीजे पर नजर डाले तों बीजेपी ने 27.8 फीसदी वोट के साथ 122 सीटें जीती थीं और शिवसेना ने 19.3 फीसदी वोट के साथ 63 सीटों पर जीत हासिल की थी. जबकि कांग्रेस ने 18 फीसदी वोट के साथ 42 सीट, एनसीपी ने 17.2 फीसदी वोट के साथ 41 सीट पर जीत दर्ज की थी.
इसके अलावा प्रकाश आंबेडकर की बहुजन अघाड़ी पार्टी को 0.6 फीसदी वोट के साथ 3 सीटें, पीडब्लूपीआई 1 फीसदी वोट के साथ 3 सीटें और ओवैसी की पार्टी AIMIM 0.9 फीसदी वोट के साथ 2 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. समाजवादी पार्टी एक सीट और निर्दलीय 7 सीटें जीतने में कामयाब रहे थे. बता दें कि 25 सालों में पहली बार शिवसेना और बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा और अपने दम पर कोई भी बहुमत तक नहीं पहुंच सका था. चुनाव के बाद दोनों ने एक बार फिर गठबंधन सरकार बनाई थी. इसी तरह से कांग्रेस और एनसीपी ने भी अलग-अलग चुनाव लड़ा था.
महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव का शनिवार को औपचारिक ऐलान हो सकता है. चुनाव आयोग के ऐलान के साथ ही दोनों राज्यों में चुनावी आचार संहिता लागू हो जाएगी. महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार है. जबकि हरियाणा में बीजेपी अपने दमपर सरकार में है. बीजेपी एक बार फिर दोनों राज्यों में कमल खिलाने की कवायद में है. वहीं, विपक्षी दल सत्ता में वापसी के लिए बेताब नजर आ रहे हैं.
हरियाणा का सियासी मिजाज
हरियाणा की कुल 90 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करीब एक करोड़ 83 लाख मतदाता करेंगे. इसमें 98 लाख 33 हजार 323 पुरुष और 84 लाख 65 हजार 152 महिला वोटर्स हैं.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में बीजेपी लगातार दूसरी बार सत्ता में आने की कवायद में जुटी है. बीजेपी मिशन-75 प्लस के लक्ष्य को लेकर चल रही है. वहीं, कांग्रेस ने चुनाव से ऐन वक्त पहले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा को आगे रखा है और इनके जरिए सत्ता में वापसी करने को बेताब है. कांग्रेस ने दलित-जाट कार्ड खेला है.
इसके अलावा अभय चौटाला की इनेलो और दुष्यंत चौटाला की जेजेपी के बीच दो धड़ों में बंटा चौटाला परिवार अपने राजनीतिक वजूद को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है. वहीं, मायावती ने सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और योगेंद्र यादव की स्वराज इंडिया पार्टी भी चुनावी मैदान में हैं.
हरियाणा का समीकरण
हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 33.20 फीसदी वोट के साथ 47 सीटें जीतने में कामयाब रही थी और सत्ता की कमान पार्टी ने मनोहर लाल खट्टर को सौंपी थी. जबकि कांग्रेस 24.20 फीसदी वोट के साथ 17 सीट, इनेलो 24.10 फीसदी वोट के साथ 19 सीट, बसपा 4.40 फीसदी वोट के साथ एक सीट और अकाली दल ने 0.60 फीसदी वोट के साथ एक सीट जीती थी. वहीं, 10.60 फीसदी वोट के साथ पांच सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीतने में कामयाब रहे थे
महाराष्ट्र का सियासी माहौल
भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में चुनावी जंग फतह करने उतरी है. इस बार के चुनाव में बीजेपी-शिवसेना मिलकर किस्मत आजमा रही हैं और साथ में आरपीआई सहित कई छोटे दल भी गठबंधन में शामिल हैं. लेकिन शिवसेना और बीजेपी के बीच अभी तक सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय नहीं हो सका है. बीजेपी महाराष्ट्र में 220 प्लस सीट जीतने का टारगेट लेकर चल रही है
कांग्रेस-एनसीपी एक बार फिर मिलकर महाराष्ट्र की सत्ता में वापसी के लिए बेताब हैं. दोनों दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर फॉर्मूला भी तय हो गया है. कांग्रेस-एनसीपी ने 125-125 सीटों पर लड़ने का फैसला किया है और बाकी 38 सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ने का फैसला किया है. इसके अलावा प्रकाश आंबेडकर की बहुजन घाड़ी दलित मतों के सहारे तीसरी ताकत के रूप में उभरना चाहती है. इसके अलावा ओवैसी की पार्टी AIMIM ने मुस्लिम बहुल सीटों पर चुनावी ताल ठोककर कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की नींद उड़ा दी है.
राजनीतिक समीकरण
महाराष्ट्र में कुल 288 विधानसभा सीटें हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव के नतीजे पर नजर डाले तों बीजेपी ने 27.8 फीसदी वोट के साथ 122 सीटें जीती थीं और शिवसेना ने 19.3 फीसदी वोट के साथ 63 सीटों पर जीत हासिल की थी. जबकि कांग्रेस ने 18 फीसदी वोट के साथ 42 सीट, एनसीपी ने 17.2 फीसदी वोट के साथ 41 सीट पर जीत दर्ज की थी.
इसके अलावा प्रकाश आंबेडकर की बहुजन अघाड़ी पार्टी को 0.6 फीसदी वोट के साथ 3 सीटें, पीडब्लूपीआई 1 फीसदी वोट के साथ 3 सीटें और ओवैसी की पार्टी AIMIM 0.9 फीसदी वोट के साथ 2 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. समाजवादी पार्टी एक सीट और निर्दलीय 7 सीटें जीतने में कामयाब रहे थे. बता दें कि 25 सालों में पहली बार शिवसेना और बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा और अपने दम पर कोई भी बहुमत तक नहीं पहुंच सका था. चुनाव के बाद दोनों ने एक बार फिर गठबंधन सरकार बनाई थी. इसी तरह से कांग्रेस और एनसीपी ने भी अलग-अलग चुनाव लड़ा था.