शास्त्रों के अनुसार श्रावण महीना भगवान शिव को प्रिय होने के साथ साथ मनोकामनाओं को पूरा करने का महीना भी होता है. श्रावण मास को वर्ष का सबसे पवित्र महीना माना जाता है. इस महीने में विवाह सम्बंधित सभी परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण का महीना भगवान शिव और विष्णु का आशीर्वाद लेकर आता है. माना जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए पूरे श्रावण माह में कठोरतप करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था. यह महीना भगवान शिव के पूजन लिए खास महत्व रखता है.
श्रावण के सोमवार में ऐसे करें भगवान शिव की पूजा-
सोमवार का प्रतिनिधि ग्रह चंद्रमा है. यह मन का कारक माना जाता है. चंद्रमा भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान है. यही वजह है कि भगवान शिव अपने भक्त के मन को नियंत्रित करके रखते हैं. सोमवार का दिन शिवजी की पूजा के लिए खास माना जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार सावन के सोमवार पर शिवलिंग की पूजा करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है. कुंवारी लड़कियां मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए सावन के सोमवार का व्रत रखती हैं.
श्रावण में कैसे मिलेगा सुखी दांपत्य जीवन का वरदान-
- यदि जन्म कुंडली के सातवें भाव में पापी ग्रह सूर्य मंगल शनि हो तो दांपत्य जीवन में खटास आती है.
- सप्तम भाव पर भी अधिक पापी ग्रहों की दृष्टि हो और सप्तम भाव का स्वामी अस्त हो तो भी दांपत्य जीवन में खटास रहती है.
- पति पत्नी दोनों मिलकर पूरे श्रावण मास दूध, दही, घी, शहद और शक्कर अर्थात पंचामृत से भगवान शिव शंकर का अभिषेक करें.
- ॐ पार्वती पतये नमः मंत्र का रुद्राक्ष की माला से 108 बार जाप करें.
- भगवान शिव के मंदिर में शाम के समय गाय के घी का दीपक संयुक्त रूप से ही जलाएं.
-श्रावण मास में मिलेगा बीमारियों से छुटकारा-
- श्रावण मास में सुबह के समय जल्दी उठे.इसके बाद अपने स्नान के जल में दो बूंद गंगाजल डालकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें.
-एक पूजा की थाली में रोली-मोली, चावल, धूप, दीपक, सफेद चंदन, सफेद जनेऊ, कलावा, पीला फल, सफेद मिष्ठान, गंगा जल तथा पंचामृत आदि रखें.
- यदि संभव हो तो अपने घर से नंगे पैर भगवान शिव के मंदिर के लिए निकलें. मंदिर पहुंचकर विधि विधान से शिव परिवार की पूजा-अर्चना करें.
- गाय के घी का दीपक और धूपबत्ती जलाकर वही आसन पर बैठकर शिव चालीसा का पाठ करें
- अपने घर वापस आते समय भगवान शिव से प्रार्थना करें और अपने मन की इच्छा कहें.