14 टेंडर के 'जाल' में फंसे अखिलेश, बोले- नहीं आया CBI का नोटिस या समन
यूपी के खनन घोटाले में सीबीआई अखिलेश यादव से पूछताछ कर सकती है. अखिलेश यादव के पास जब खनन मंत्रालय था, तो उस समय 14 टेंडर पास किए गए. खनन घोटाले पर सीबीआई सख्त हुई तो समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस खुलकर सामने आ गए, अब तीनों विपक्षी दल बीजेपी सरकार पर साजिश का आरोप लगा रहे हैं.
दरअसल, अवैध खनन मामले की जांच कर रही सीबीआई ने दावा किया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यालय ने एक ही दिन में 13 खनन पट्टों को मंजूरी दी गई थी. अखिलेश ने 14 खनन पट्टों को मंजूरी दी थी जिसमें 13 को 17 फरवरी 2013 को मंजूरी दी गई थी. ऐसा ई-टेंडरिंग प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए किया गया था.
सीबीआई का दावा है कि 2012 की ई-टेंडर नीति का उल्लंघन करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय से मंजूरी हासिल करने के बाद 17 फरवरी को हमीरपुर की जिलाधिकारी बी चंद्रकला ने खनन पट्टे दिए थे. ई-टेंडर नीति का 29 जनवरी 2013 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंजूरी दी थी.
इस बीच अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा अपनी सारी मर्यादाएं भूलकर खुद सीबीआई की जगह बैठ गई है. अभी तक सीबीआई की तरफ से कोई नोटिस अथवा समन तक नहीं आया. तब भाजपा सरकार के मंत्रिगण किस संवैधानिक अधिकार से कथित आरोप लगाने का दुस्साहस कर रहे हैं.
बता दें, बीते शनिवार को सीबीआई ने आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला, समाजवादी पार्टी के विधान पार्षद रमेश कुमार मिश्रा और संजय दीक्षित समेत 11 लोगों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में छापेमारी की थी. यह छापेमारी हमीरपुर जिले में 2012-16 के दौरान अवैध खनन की जांच के सिलसिले में की गई थी. 2012-13 के दौरान खनन विभाग पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास ही था. इसकी वजह से उनकी भूमिका जांच के दायरे में आई है.