दिल्ली के 90 हजार लोग इस बीमारी की चपेट में, कहीं आप तो नहीं शिकार
इसे टीबी के इलाज से छूट रहे मरीजों को ढूंढ़ निकालने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों का परिणाम कहें या प्रदूषण का दुष्प्रभाव। बात चाहे जो भी हो, लेकिन यह सच है कि दिल्ली में टीबी मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 31.47 फीसद बढ़ोतरी हुई है।
एक साल में 89 हजार से अधिक नए मरीज सामने आए हैं। यह आंकड़ा डराने वाला है, क्योंकि टीबी के इतने मामले हाल के वर्षों में कभी दर्ज नहीं किए गए। इससे तो यही कहा जा सकता है कि दिल्ली में टीबी का संक्रमण बढ़ा है हालांकि, दिल्ली के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने इससे इनकार किया है।
महानिदेशालय का कहना है कि टीबी नोटिफिकेशन की प्रक्रिया में बदलाव के कारण वर्ष-2018 में टीबी के अधिक मामलों का नोटिफिकेशन हुआ। वहीं, दिल्ली सरकार के एक बड़े टीबी सेंटर के डॉक्टर ने बताया कि नोटिफिकेशन की प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं हुआ है। विशेषज्ञ इसका कारण दिल्ली में बढ़ती भीड़ व प्रदूषण को मान रहे हैं।
उनका मानना है कि टीबी से पीड़ित सभी मरीजों की सूचना सरकार तक नहीं पहुंच पाती है। इसलिए कई मरीज इलाज से छूट जाते थे। केंद्र सरकार ने मरीजों के नोटिफिकेशन पर डॉक्टरों को प्रति मरीज 500 रुपये देने का प्रावधान किया है। यह भी कारण है कि मरीजों का नोटिफिकेशन बढ़ा ह
पिछले कुछ साल के आंकड़े
सामान्य तौर पर दिल्ली में हर साल औसतन करीब 65 हजार मामले सामने आते हैं। वर्ष 2016 में कुल 62,706 मामले सामने आए थे। वर्ष 2017 में यह आंकड़ा बढ़कर 67,876 था। इनमें 61,089 मामलों की सरकारी अस्पतालों ने और 6,787 मामलों की निजी अस्पतालों ने रिपोर्ट की थी। वर्ष 2018 में 21,361 मामले अधिक सामने आए। इस तरह एक साल में टीबी के कुल 89,237 मामले सामने आए।
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने कहा, बाहरी मरीजों ने बढ़ाया आंकड़ा
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के अतिरिक्त निदेशक एवं दिल्ली में टीबी नियंत्रण कार्यक्रम के प्रभारी डॉ. अश्विनी खन्ना ने कहा कि राजधानी में टीबी की जांच के लिए उत्तर प्रदेश से भारी संख्या में मरीज पहुंचते हैं। पहले बाहर के मरीजों का दिल्ली में नोटिफिकेशन नहीं होता था। अब बाहरी मरीजों का भी नोटिफिकेशन शुरू कर दिया गया है। इस वजह से टीबी के मामले अधिक दर्ज हुए। हालांकि, बाहर के मरीजों को इलाज के लिए वापस संबंधित राज्य में स्थानांतरित कर दिया जाता है।