हरा-भरा इलाका भला किसको अच्छा नहीं लगता है। यह न सिर्फ आपके स्वस्थ्य के लिहाज से अच्छा होता है बल्कि इससे इस बात का भी पता चलता है कि वहां का वातावरण कितना साफ-सुथरा है। जहां पर इसकी कमी होती है वहां का वातावरण निश्चिततौर पर प्रदूषित होता है। हम यह सब आपको इसलिए बता रहे हैं क्योंकि हाल ही में एक शोध सामने आया है। इससे कहा गया है कि हरियाली का बच्चों की याददाश्त पर काफी सकारात्मक असर पड़ता है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि जिस धरती पर हम रहते हैं उसके क्षेत्रफल की दृष्टि से धरती का करीब 71 फीसद नमकीन जल और बाकी पर महाद्वीप और द्वीप हैं। इसके अलावा कुछ हिस्से पर मीठे पानी की झीलें इत्यादि भी हैं।
भारत में बढ़ा वनक्षेत्र
इसमें भी यदि बात करें भारत की तो आपको यहां पर ये भी बता दें कि पिछले दो साल में भारत के वन क्षेत्र में एक फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह 2015 के 7, 01,495 वर्ग किलोमीटर से 2017 में बढ़कर 7,08,273 वर्ग किलोमीटर हो गया है। यानी कुल वनक्षेत्र में 6,778 वर्ग किलोमीटर का इजाफा हुआ है। इस दौरान आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, ओडिशा और तेलंगाना में वन क्षेत्र में सबसे ज्यादा बढ़त हुई है। इस मामलू इजाफे के बाद देश का वन क्षेत्र कुल क्षेत्रफल के 21.54 फीसदी तक पहुंच गया है। पर्यावरण मंत्रालय की इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2017 में इसकी जानकारी दी गई है। इसमें कहा गया ह है कि देश में कुल वनक्षेत्र बढ़कर 8,02,088 वर्ग किलोमीटर हो गया है। यह कुल 8,021 वर्ग किलोमीटर की बढ़त है। अब देश के कुल 24.39 प्रतिशत भू-क्षेत्रफल पर वन और वृक्ष क्षेत्र है।
दुनिया में जितनी तेजी से आबादी
बढ़ रही है उतनी ही तेजी से रहने के लिए जमीन कम पड़ने लगी है। जमीन की कमी को पूरा करने के लिए दुनिया भर में बिना सोचे-विचारे पेड़-पौधे काटे जा रहे हैं। इससे ग्लोबल वार्मिंग का तो खतरा बढ़ा ही है साथ ही सांस लेने के लिए साफ हवा भी मुश्किल से मिल रही है। अब इसका एक और दुष्परिणाम सामने आया है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि हरे-भरे और पेड़-पौधों वाले इलाकों का असर बच्चों की याददाश्त पर भी पड़ता है। अध्ययन के आधार पर उन्होंने पता लगाया है कि वे बच्चे जो पेड़-पौधों से भरे हुए शहरों में रहते हैं उनकी स्मृति अन्य बच्चों की तुलना में बेहतर होती है।
ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं के मुताबिक, पर्यावरण का हमारी याददाश्त पर गहरा असर पड़ता है। ब्रिटिश जर्नल ऑफ एजुकेशनल साइकोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि हरियाली का एकाग्रता से गहरा संबंध होता है। ऐसे स्थान बच्चों का ध्यान भंग होने से रोकते हैं और पढ़ने में मददगार साबित होते हैं।
फ्लोरि कहती हैं, हमारा अध्ययन केवल बच्चों के बेहतर विकास के लिए ही नहीं, बल्कि अच्छी शहरी योजनाओं को तैयार करने में भी प्रयोग किया जा सकता है। हमारे अध्ययन से पता चलता है कि शहरों में पेड़-पौधों की आवश्यकता सिर्फ हवा को साफ रखने के लिए ही नहीं, बल्कि बच्चों के शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए भी है। इसलिए बेहतर होगा कि हम अपने आस-पास के इलाकों को हरा-भरा बनाएं। सिर्फ प्रशासन को ही नहीं, नागरिकों को भी इस विषय पर सोचना चाहिए और पौधे लगाने चाहिए। आखिरकार यह आपके बच्चों के भविष्य का सवाल है।
शोधकर्ताओं ने अध्ययन में इंग्लैंड के शहरों में रहने वाले 11 साल के 4,758 बच्चों को शामिल किया। अध्ययन में उनकी याददाश्त के स्तर का पता लगाया गया। इसमें सामने आया कि हरियाली और बच्चों की स्मृति के बीच गहरा संबंध है। जिन बच्चों के घरों के आस-पास पेड़-पौधे थे उनकी याददाश्त दूसरे बच्चों की तुलना में बेहतर थी।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की एरिनी फ्लोरि कहती हैं, हमारा अध्ययन संज्ञात्मक ज्ञान में हरियाली की सकारात्मक भूमिका के बारे में बताता है। इसका सीधा असर बच्चों की शैक्षिक उपलब्धि पर पड़ता है। खासतौर पर गणित विषय पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ता है, जिसमें ढेर सारे फॉर्मूलों को याद करने की जरूरत पड़ती है।