ऐसे अध्यापक की दास्तां जो परोपकार को मानते हैं अपना धर्म!
सुरेन्द्र प्रभात खुर्दिया/दिल्ली:- हमारे देश में परोपकार और प्रेरणादायी परमार्थ कर्म हमेशा से सर्वोपरि रहा और आज भी है और यह अलग बात है कि काल परिस्थति के अनुसार उसके स्वरूप में बदलाव आया है। भले ही उसके रूप में कितना ही परिवर्तन क्यों नहीं आया हो। परन्तु रही मूल बात लोकोपकार की भावना जो हमेशा से प्राथमिकता में रही है । पानी की प्याऊ लगाना हो अथवा जरूरतमन्द कन्याओं के विवाह में सहयोग या फिर बुजुर्गों को दवाईयां दिलाने का या फिर मुफ्त में दांतुन वगैरह -वगैरह प्रेरणादायी कर्म करके जो खुषी मिलती है, उस का बखान नहीं किया जा सकता है। ऐसे कर्म जो आसानी से किएं जा सकते हैं। जिस में हिंग लगे ना फिटकरी और रंग भी चैखा आ जाए, वाला मुहावरा एक दम फिट बैठता है।
यह सेवानिवृत्त नागरिक समाज के लिए और आसान राह होती है और व्यर्थ में समय गंवाने के बजाय अच्छे कार्य में समय लगाने को परम कत्र्तव्य मानने वाले अनेक लोग मिल जाएंगे। इस प्रकार के कर्म करने वालों की गिनती महान पुरूर्षों में की जाती है। ऐसा मेरे विनम्रमत में शुमार मानता हंू। महानता कहीं पर भी मिल जाएगी। राहगीरों में भी देखा जा सकता है। चाहिएं देखने का नजरिया। आज जिस ढ.ग की कार्यशैली नगरों और महानगरों की हो गई हो ! जहां पानी जैसी वस्तु भी बोतल पैक में बिकती हो अर्थात व्यावसायिकीकरण हो चुका हो, वहां ऐसे परोपकार के कार्य देखने को मिल जाएं तो अच्छी बात है। यानी सोने पै सुहागा ही कहा जाएगा। दिल्ली जैसे महानगर में कई जगह ऐसी मिल जाएगी जहां सार्वजनिक पानी की प्याऊ का को कोई स्थान नहीं वही पानी बोतलों में या पानी पाऊंच या फुटकर बिकता हुआ मिल जाएगा। उस के अभाव में बटोही - राहगीर पानी को तरसता हुआ भले ही क्यों नहीं मर जाए उनकी बला से ऐसे स्थानों पर सरकारी या गैर-सरकारीस्तर सार्वजनिक पानी की प्याऊ नसीब नहीं होगी।
यह महानगर दिल्ली का एक चेहरा यह है। वही दूसरी ओर लोक उपकार की धुन को मानते हैं अपना धर्म और राहगीरों को सर्दी, गर्मी और वर्षा यानी पूरे वर्षभर सार्वजनिक पानी की प्याऊ लगा कर नागरिक समाज की - राहगीरों की प्यास बुझा कर प्रेरणदायी परमार्थ कर्म करते हुए महानता से भरपूर लोग मिल जाएंगे। जिनका कार्य सेवा ही है। यह महानगर दिल्ली का दूसरा चेहरा विशेष रूप देहातों, कुछेंक सेक्टरों के इलाकों, पार्कों वगैरह - वगैरह में मिल जाएगा। जिस में एनजीओ सहित व्यक्तिगतस्तर भी लोग लोक उपकार को ही अपना धर्म मानते हैं। जब उन से कोई पूछता हैं कि यह प्याऊ आपने लगाई है ? तो वह बोल पड.ते हैं भाई, यह प्याऊ तो राम ने लगायी हैं। ऐसे ही प्रेरणदायी एक ऐसे अध्यापक की दास्तां बताने जा रहे हैं। रिढाऊ गांव सोनीपत के मूल निवासी सेवा की राह में 67 वर्षीय जगदीश गहलावत हमेशा तत्पर रहते आ रहे हैं। लोकोपकार को ही अपना धर्म मनने वाले अध्यापक जगदीश गहलावत फरमाना चैक हरियाणा में सेवाकाल से ही मन,वचन और कर्म से लोक सेवा का भाव हृदय में लिए लोगों के लिए प्रेरक बने हुए है। बचपन से ही सार्वजनिक सेवाकार्य में भाग लेते आ रहे है।
दिल्ली सरकार के प्राथमिक स्क्ूल और सीनियर सैकण्डरी स्क्ूल शाहाबाद डेयरी से 2013 में अंगेजी अध्यापक से सेवानिवृत्ति के बाद रिठाला विधानसभा, उत्तरी पश््िचमी जिला सेक्टर 11 रोहिणी में वर्तमान में निवास कर रहे हैं जो जी थ्रीे एस प्रेट्रोलपंप के पास सार्वजनिक पानी की प्याऊ लगाते आ रहे हैं। जहां कई वर्षों से राहगीर अपनी प्यास बुझाते हंै। 2007 से ही ऐसा कर्म करते हुए आ रहे हंै, एक सहज मुलाकात में मास्टर जगदीश कहते हैं कि पहले - पहल मुझें कई किलो मीटर पैदल चलकर पानी की व्यवस्था करनी पड.ती थीं । और यही नहीं हर रोज मटकों की साफ - सफाई का विशेष ध्यान रखता हंू। इसी के साथ कई चुनौतियों का सामना करना पड.ता था । जैसें कि सांय काल अपने-अपने वहानों से निकलने वालें वो लोगबाग जो शराब के आदि थे। शराब पीने के लिए मटकों का उपयोग किया करते थें। ऐसें शख्सों से उन्हें बड.ें मनोवैज्ञानिक विधि से समझाना शुरू किया तो उनका यहां आना बन्द हो गया। इतना ही नहीं कई शराब छोड.कर मेरे साथ इस कल्याणकारी कार्य में जुट गए हैं।
जी थ्री एस का 16 - 17 सेक्टर का डिवाइडर प्रेट्रोलपंप के पास कमल की चाय की दुकान पर जो प्याऊ के ही पास है, मास्टर जी यहां अपने ईस्ट मित्रों के साथ समाज सेवा परोपकार एवं सामाजिक जागरूकता की चार्चा में मशगूल रहते हंै। इतना ही नहीं देश भक्ति एवं ईश्वर भक्ति का वतावरण भी यहां रहता है। उनके साथी श्यामलाल गोयल और सुरेश गुप्ता, सरदार सतनाम सहित अनेक मित्र कहते हैं ेिक मास्टर जगदीश के साथ बैठकर अच्छी - अच्छी बातें पता चलती हंै जिन में खेत - खलिहान, मौसम परिवर्तन शिक्षा में सुधार राट्रªभक्तों की चर्चा आदि खास होती है। प्यासों की प्यास बुझाने के अलावा यह बड.ें - बुजुर्गों को अपने खर्चें से दवाईयां भी उपलब्ध कराते रहते हैं। सेक्ट-11 रोहिणी के इलाके की बात चल पड.ी तो वही प्रातः की सैर को आने वाले सेवानिवृत्त नागरिकों ने बुजुर्ग ऐसोसिएशन जिन्दल किराणा स्टोर शंकर चैक के वहां पे्रम सागर जिन्दल और उनके सहयोगी कई वर्षों से राहगीरों को मुफ्त में दांतुन दे कर सेवा कर रहे हैं। यहा स्वास्थ सेवा की चर्चा नहीं की तो कर्म का बखान अधूरा रह जाएंगा। हर अच्छे प्रेरणादायी कर्म का प्रचार - प्रसार होना ही चाहिए।
इस की अगली कड.ी में गोल्डन जुबली अपार्टमेंट के‘‘बाहर पार्क में मेरी दिल्ली स्वस्थ दिल्ली गुप्र‘‘ द्वारा केन्द्रा बैंक से सेवानिवृत्त महेशचन्द्र शूरी और डाॅक्टर एस. पी. छाबड.ा गत 4 मई से ही निः शुल्क व्यायाम और मार्ग दर्शन क्लासें आरंभ की हई हैं। जिस का स्लोगन ‘‘ स्वास्थ्य ही जीवन हैं‘‘के अन्तर्गत लोगों प्रशिक्षण दिया जा रहा है। शूरी कहते है कि पीतमपुरा और स्र्वण जयन्ति पार्क में भी हमारे गुप्र द्वारा निःशुल्क व्यायाम और मार्ग दर्शन क्लासें आरंभ किए हुएं करीबन एक वर्ष होने जा रहां हैं।