तनाव से चाहिए छुटकारा तो रहिये इनसे दूर?
सुरेन्द्र प्रभात खुर्दिया/नई दिल्ली:- अकेलापन तुरंत करें दूर कोई भी अकेले रहना पसंद नहीं करता है। यहां तक कि सबसे ज्यादा संकोची और गंभीर व्यक्ति भी किसी न किसी के साथ सहज महसूस करता है। अकेलापन महसूस करना किसी भी व्यक्ति के तनाव को अचानक बढ़ा सकता है।
नकारात्मक सोच
निराशावादी होने पर व्यक्ति हर समय तनाव में रहता है और यह सोच तनाव को ज्यादा गति प्रदान करती है। इसलिए चीजों को कुछ अलग ढंग से देखना शुरू करें और तनाव से बचने के लिए नकारात्मकता से बचें।
रिश्तों में दरार
रिश्तों में दरार शारीरिक और भावनात्मक दोनों रूपों से प्रभावित करती है। ऐसे में मस्तिष्क एक खतरे के रूप में व्यवहार करता है और तनाव के रूप में प्रतिक्रिया देता है। जबकि एक स्वस्थ रिश्ता आपके सबसे बुरे समय में भी आपकी मदद करता है।
तनाव
बहुत ज्यादा चिंता के कारण प्रमस्तिष्कखंड अतिसक्रिय हो जाता है। इससे आपको तनाव हो सकता है। एक साथ बहुत सारी बातों को लेकर चिंतित होना तनाव को बढ़ाता है। इसलिए लंबे समय के लिए चिंतित होने से बचने के लिए अच्छे विचारों पर ध्यान देना चाहिए।
सदमा लगना
सदमे का मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आपको इस बात का एहसास कराए बिना सदमे से उपजे अवचेतन विचार प्रमस्तिष्कखंड को उत्तेजित करते हैं। स्थान, वस्तु, गाने या अन्य ध्वनियां आपके आघात की याद दिलाकर आपके तनाव को बढ़ा सकती हैं।
गुस्सा करना
गुस्सा मन में नकारात्मक विचारों की बाढ़ लाकर तनाव को बहुत अधिक बढ़ा देता है। यहां तक कि ड्रिंक गिरने से पोशाक का खराब होना या मीटिंग का किसी कारण कैन्सल होना भी तनाव प्रदान कर सकता है।
शिकायत
लोगों के खिलाफ शिकायत और असन्तोष की भावना प्रमस्तिष्कखंड के लिए उत्तेजक का कार्य करती है, जिससे वास्तव में गंभीर तनाव की समस्या पैदा हो सकती है। आक्रोश विचार प्रतिकूल स्थितियों के रूप में प्रमस्तिष्कखंड की व्याख्या कर तनाव के रूप में आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं।