तीन साल से खड़ी हैं हाईटेक एंबुलेंस
गोरखपुर। रेफर गंभीर मरीजों को विशेष देखभाल के साथ लाने या किसी अन्य जगह ले जाने के लिए मेडिकल कॉलेज को उपलब्ध कराई गई दो हाईटेक एंबुलेंस तीन साल से खड़ी हैं। चलता-फिरता आईसीयू कही जाने वाली 75 लाख कीमत की ये एंबुलेंस फिलहाल कॉलेज के गैरेज में बंद हैं। अभी तक इसकी बुकिंग का रेट कॉलेज प्रशासन तय नहीं कर सका है। नतीजतन इनका लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है।
गंभीर रोगियों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार ने जब मेडिकल कॉलेज को ट्रामा सेंटर की सौगात दी तो साथ ही दो क्रिटिकल केयर एंबुलेंस भी उपलब्ध कराई। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस एक एबुंलेस की कीमत पचास लाख तो दूसरे की 25 लाख है। एंबुलेंस तो आ गईं लेकिन न तो उसके लिए ड्राइवर की नियुक्ति हुई, न पैरा मेडिकल स्टाफ की।
इस्तेमाल न होने के कारण ये कबाड़ में तबदील होने की ओर हैं। जब कोई जांच टीम या वीआईपी आता है तो इन्हें धक्का देकर ट्रामा सेंटर के सामने खड़ा कर दिया जाता है। जिससे लगे कि ये चालू हालत में हैं। उनके जाते ही इन्हें फिर गैरेज में पहुंचा दिया जाता है। इनकी यह हालत पिछले दिनों ट्रामा सेंटर की स्थित जानने आई जांच टीम व मानबेला रैली के लिए मुख्यमंत्री के आगमन के दौरान देखने को मिली
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0 एंबुलेंस में ये हैं सुविधाएं वेंटिलेटर, ब्लड प्रेशर मॉनिटर, ऑक्सीजन मॉनिटर, ईसीजी मशीन, जेनरेटर, एक मेडिकल ऑफिसर, दो पैरा मेडिकल स्टाफ।
00 दोनों एंबुलेंस ट्रामा सेंटर के लिए आई थीं। इनके लिए डॉक्टर व पैरा मेडिकल स्टाफ की जरूरत है। न तो स्टाफ मिला और न ही ड्राइवर। पत्र लिखने के बाद भी केंद्र की ओर से तय नहीं किया गया कि इनकी सुविधा उपलब्ध कराने पर शुल्क कितना लिया जाए। फिर भी इन्हें चलाने की कोशिश की जा रही है। - प्रो. केपी कुशवाहा, प्राचार्य, बीआरडी मेडिकल कॉलेज