इन चुनिंदा मंदिरों में कहीं महिला तो कहीं पुरुष के प्रवेश पर लगी है पाबंदी
नई दिल्ली:-
एक मात्र सबरीमाला मंदिर नहीं है जहां पर निश्चित उम्र की महिलाओँ के प्रवेश पर रोक है। देश में ऐसे कई मंदिर हैं और यहां तक कि दरगाह हैं जहां महिलाओं के प्रवेश पर रोक है। यही नहीं कुछ मंदिरों में पुरुषों के प्रवेश पर भी रोक है। सबरीमाला मंदिर प्रबंधन त्रवणकोर देवासम बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट मे ऐसी जगहों की सूची दी है।
यहां पुरुषों के प्रवेश पर रोक है बृम्हा जी का मंदिर पुष्कर
चौदहवीं शताब्दी के इस मंदिर में वर्ष में एक दिन कार्तिक पूर्णिमा को विवाहित पुरुषों के प्रवेश पर रोक है। इसके पीछे किवदंती है कि भगवान बृम्हा ने पुष्कर तालाब में एक यज्ञ रखा जो उन्हें अपनी पत्नी देवी सरस्वती के साथ करना था, लेकिन सरस्वती को वहां पहुंचने में देर हो गई। इसलिए बृम्हा जी ने देवी गायत्री से विवाह करके पूजा सम्पन्न की। इसके बाद देवी सरस्वती ने मंदिर को शाप दिया कि कोई भी विवाहित पुरुष मंदिर के गर्भ ग्रह में नहीं जाएगा, नहीं तो उसके वैवाहिक जीवन में संकट उत्पन्न होगा।
भगवती मां मंदिर कन्याकुमारी
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि मां पार्वती भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए बीच समुद्र में तपस्या करने अकेली गईं थीं। इसलिए इस मंदिर में सिर्फ महिलाओं को जाने की अनुमति है। पुरुषों पर पाबंदी है। यहां मां भगवती दुर्गा की पूजा सिर्फ महिलाएं करती हैं।
अत्तूकल भगवती मंदिर केरल
इस मंदिर में फरवरी मार्च के दौरान पोंगल उत्सव में सिर्फ महिलाएँ जाती हैं और देवी पर चूडि़यां चढ़ाती हैं। यहां सिर्फ महिलाएं ही पूजा करती हैं पुरुषों के प्रवेश पर पाबंदी है।
चक्कुलाथुकावु मंदिर केरल
केरल का यह मंदिर मां भगवती का है। यहां हर वर्ष दिसंबर के पहले शुक्रवार को वार्षिक नारी पूजा होती है। पुरुष पुजारी महिला श्रद्धालुओं के पैर धोते हैं। जो कि 10 दिन का वृत रखती हैं। ये मंदिर पंपा नदी के किनारे स्थित है।
माता मंदिर मुजफ्फरपुर बिहार
इस मंदिर में एक विशेष समय में सिर्फ महिला श्रद्धालुओं को जाने की इजाजत होती है। यहां तक कि पुजारी को भी मंदिर परिसर में जाने की इजाजत नहीं होती।
महिलाओं के प्रवेश पर है रोक भगवान कार्तिकेय मंदिर पुष्कर
कहा जाता है कि इस मंदिर में अगर महिला प्रवेश करेगी तो उसे शाप मिलेगा। इसीलिए यहां महिलाओं के प्रवेश पर रोक है।
पतबउशी सत्रा असम
असम के इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक है ताकि मंदिर अपवित्र न हो। यहां मंदिर के प्रशासन का विश्वास है कि महिलाओं को मासिक धर्म होता है इसलिए वे अपवित्र हैं। 2010 में जब जेबी पटनायक असम के राज्यपाल थे तब वे इस नियम को तोड़ने के लिए कुछ महिलाओं के साथ मंदिर गए थे लेकिन बाद मे रोक फिर लागू हो गई।
भवानी दीक्षा मंडलम विजयवाड़ा
इस मंदिर के गर्भ गृह में किसी भी महिला के जाने पर रोक है। हाल ही में इस मंदिर में जयंती विमला को उनके पिता की मृत्यु के बाद मुख्य पुजारी बनाया गया है। इस पद के बावजूद वह अन्य महिलाओं की तरह मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश नहीं कर सकती।
निजामुद्दीन दरगाह नई दिल्ली
दिल्ली स्थित निजामुद्दीन दरगाह में दरगाह के एकदम अंदर जाने की महिलाओँ को इजाजत नहीं है। महिलाएं सिर्फ दरगाह परिसर तक ही जा सकती हैं।