इराक में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। बगदाद से सटे उत्तरी इलाकों में इस्लामिक स्टेट ऑफ सीरिया एंड अल-शाम (आईएसआईएस) और इराकी सेना के बीच भीषण संघर्ष जारी है। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र ने इराक के अस्तित्व को खतरे बताया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इराक की ही तरह दुनिया के कुछ और देशों में गृहयुद्ध छिड़ा हुआ है, जिसकी भरपाई आम नागरिकों को करनी पड़ रही है।
गृहयुद्ध की मार झेल रहे देश
1. इराक
2. सीरिया
3. सोमालिया
4. दक्षिण सूडान
5. नाइजीरिया दुनिया की आठ प्रतिशत आबादी ‘नर्क’ में रहने को मजबूर
इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस द्वारा प्रकाशित की गई ग्लोबल पीस इंडेक्स (जीपीआई-2014) की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की 8 प्रतिशत आबादी, 11 सबसे अशांत देशों में बसती है। रिपोर्ट के अनुसार, इन देशों में रह रहे लोगों का जीवन नर्क से कम नहीं है।
सबसे अशांत देश
ग्लोबल पीस इंडेक्स (जीपीआई-2014) के अनुसार, 162 देशों की सूची में दक्षिण सूडान (160), अफगानिस्तान (161) और सीरिया (162) शीर्ष तीन सबसे अशांत देशों में है। भारत को इस सूची में 143वें स्थान पर रखा गया है।
हिंसा का ये असर
वैश्विक स्तर पर बढ़ रही आतंकी गतिविधियों का अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ा है। जीपीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, 2012 में हिंसा के चलते 9.46 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर यानी भारतीय मुद्रा में लगभग 570111.6 अरब रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ था। ये नुकसान वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 11.3 प्रतिशत के बराबर है, जो अफ्रीकी महा देशों के संयुक्त जीडीपी का दोगुना है।
और ये हैं सबसे शांतिपूर्ण देश
विश्व के तीन शीर्ष शांतिपूर्ण देशों की बात करें, तो उनमें आइसलैंड, डेनमार्क और ऑस्ट्रिया का नाम टॉप पर है।
दक्षिण एशिया में भूटान सबसे शांत देश
दक्षिण एशिया में भूटान सबसे शांत देश है। फिर नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका का नंबर है। भारत पांचवें स्थान पर है, जबकि पाकिस्तान को छठा और अफगानिस्तान सातवां स्थान मिला है। विश्व स्तर पर पाकिस्तान 154वें नंबर पर है।
वर्ष - 2013-14
देश - इराक
संघर्ष - शिया सरकार Vs सुन्नी इस्लामिक लड़ाके
संघर्ष की मुख्य वजह - देश को सुन्नी इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहते हैं लड़ाके
वर्तमान स्थिति: सांप्रदायिक तनाव गहराते ही यहां बड़े नाटकीय तौर पर सुरक्षा व्यवस्था का पतन हो गया। देखते ही देखते इस्लामिक स्टेट ऑफ सीरिया एंड अल-शाम (आईएसआईएस) के लड़ाकों ने अधिकांश बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया। इसके अलावा लड़ाकों ने बैजी शहर स्थित इराक के सबसे बड़े तेल संयंत्र को भी बंद कर दिया है।
अल कायदा और आईएसआईएस जैसे इस्लामी चरमपंथी समूहों को सीरिया संकट से बल मिला है। बीते दिनों आईएसआईएस ने 1700 सैनिकों की हत्या करने का दावा किया है। इस्लामिक लड़ाके राजधानी बगदाद से महज 60 किलोमीटर की दूरी पर हैं, जहां इराकी सेना के साथ भीषण युद्ध जारी है।
वर्ष - 2013-14
देश - सीरिया
संघर्ष - राष्ट्रपति बशर अल बसद Vs फ्री सीरियन आर्मी
संघर्ष की मुख्य वजह - बशर सरकार की दमनकारी नीति
वर्तमान स्थिति- सीरिया में तीन साल से गृहयुद्ध जारी है। हिंसा के बीच अकेले 2014 में लगभग 30,000 लोगों की जानें जा चुकी हैं। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून के मुताबिक, जुलाई 2013 तक सीरिया संकट ने 1,50,000 से भी ज्यादा लोगों की जानें ले ली। वहीं, लाखों की तादात में बच्चे अनाथ हो गए हैं। बशर सरकार पर 2013 में विद्रोहियों पर रासायनिक हथियारों से भी हमले करने का आरोप है। सीरिया संकट का सबसे बड़ा फायदा यहां के आतंकी संगठनों को हुआ। इसी दौरान इस्लामिक स्टेट ऑफ सीरिया एंड अल-शाम (आईएसआईएस) तेजी से उभरा। इसके अलावा और भी कई आतंकी संगठन हैं, जो यहां सक्रिय हैं।
वर्ष - 2013-14
देश - सोमालिया
संघर्ष - सरकार Vs अल शबाब
संघर्ष की मुख्य वजह - इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहते हैं इस्लामी चरमपंथी समूह
वर्तमान स्थिति: सोमालिया के आतंकी संगठन अल शबाब ने केन्या को 'वार जोन' घोषित किया है। अल कायदा समर्थित इस संगठन ने बीते रविवार को टीवी पर फुटबॉल मैच देख रहे 48 नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया। ये वही आतंकी संगठन है, जिसने केन्या के नैरोबी गेट मॉल पर हमला कर 65 लोगों की जानें ले ली थी, जिसमें भारतीय मूल के गुजराती लोग भी शामिल थे। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, 2014 में 854 लोग मारे गए, वहीं 2013 में ये आंकड़ा 3,150 था।
वर्ष - 2013-14
देश - दक्षिण सूडान
संघर्ष - राष्ट्रपति सलवा कीर Vs विद्रोही नेता रीक माचर
संघर्ष की मुख्य वजह - जातीय संघर्ष
वर्तमान स्थिति: दक्षिण सूडान में 2013 से गृहयुद्ध जारी है। यहां जातीय हिंसा के चलते 13 लाख से भी ज्यादा लोग घर छोड़ने को मजबूर हो गए। वहीं, हजारों हिंसा की भेट चढ़ गए। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने चेतावनी दी है, "अगर जातीय संघर्ष जारी रहा, तो साल के आखिर तक दक्षिण सूडान की एक करोड़ 20 लाख की आबादी में से आधे घर छोड़ चुके होंगे या भूख से या हिंसा में मारे जाएंगे।" जातीय हिंसा के बीच दक्षिण सूडान के बच्चे कुपोषण की चपेट में हैं।
वर्ष - 2013-14
देश - नाइजीरिया
संघर्ष - सरकार Vs बोको हरम
संघर्ष की मुख्य वजह - शरिया कानून लागू करना चाहता है बोको हरम
वर्तमान स्थिति: 300 स्कूली छात्राओं का अपहरण कर जबरन इस्लाम कबूल कराने के चलते इस्लामी चरमपंथी समूह बोको हरम वैश्विक नाराजगी का कारण बन गया है। हाल ही में अमेरिका ने समूह को आतंकी संगठन करार दिया है। बोको हरम यहां शरिया कानून लागू करना चाहता है। बोको हरम आए दिन ग्रामीणों पर घातक हमले कर रहा है। अकेले 2014 में हुए हमलों में 2,000 लोगों से ज्यादा की जानें जा चुकी हैं। वहीं, स्थानीय सरकार ने बोको हरम के खात्मे की कसम खाई है। इस अभियान में विदेशी देश भी सरकार का साथ दे रहे हैं।