ऊना में गुरू तेग बहादुर शहीदी दिवस पर अवकाश: 24 या 25 नवंबर? भ्रम और अदालती आदेश

ऊना में गुरू तेग बहादुर शहीदी दिवस पर अवकाश: 24 या 25 नवंबर? भ्रम और अदालती आदेश

ऊना उप-मण्डल में 24 नवंबर को अवकाश घोषित किया गया, लेकिन अगले ही दिन यह तारीख बदल गई। ये सिर्फ एक कैलेंडर गड़बड़ी नहीं, बल्कि एक ऐसा भ्रम है जो लाखों छात्रों, कर्मचारियों और अदालतों के जीवन को उलट-पुलट कर देता है। उपायुक्त जतिन लाल ने 22 नवंबर को आदेश जारी करके स्पष्ट किया था कि 24 नवंबर, सोमवार को ऊना उप-मण्डल में सभी सरकारी और निजी स्कूल, कॉलेज और कार्यालय बंद रहेंगे — श्री गुरू तेग बहादुर जी की 350वीं शहीदी वर्षगांठ के अवसर पर। लेकिन फिर आया उलटफेर।

अवकाश की तारीख बदल गई? जिला और राज्य के बीच अंतर

23 नवंबर की रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपने आदेश में बदलाव कर दिया। अब अवकाश 25 नवंबर, मंगलवार को लागू होगा। यह बदलाव दिल्ली सरकार के सीएम रेखा गुप्ता के सोशल मीडिया पोस्ट के बाद हुआ, जिन्होंने दिल्ली और चंडीगढ़ में 25 नवंबर को अवकाश घोषित किया। लेकिन ऊना के उपायुक्त जतिन लाल ने अभी तक अपने आदेश को संशोधित नहीं किया।

इस भ्रम के कारण कई स्कूलों में बच्चों को घर भेज दिया गया, जबकि कुछ ने बंद रहने का फैसला किया। कुछ कॉलेजों ने आदेश की पुष्टि के बाद ही अवकाश की घोषणा की। यह असंगति न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में, बल्कि आम नागरिकों के दैनिक जीवन में भी उलझन पैदा कर रही है।

अदालतों में भी बंदी: 21 से 26 नवंबर तक सुनवाई नहीं

इसी बीच, सीनियर सिविल जज कम एसीजेएम विशाल कौंडल ने 24 नवंबर को एक अलग आदेश जारी किया — जिले की सभी अदालतें 21 से 26 नवंबर तक बंद रहेंगी। कारण? पीठासीन अधिकारियों का अवकाश। लेकिन यहां एक और चौंकाने वाली बात है: 24 नवंबर के मामलों की सुनवाई 22 अप्रैल, 2026 को होगी।

यानी एक दिन के लिए घोषित अवकाश अब छह दिनों तक लंबा हो गया। यह न केवल नागरिकों के लिए न्याय तक पहुंच में देरी का कारण बन रहा है, बल्कि यह अदालती प्रक्रिया के बारे में भी सवाल उठा रहा है। क्या एक धार्मिक अवकाश के नाम पर न्याय की गति रोकी जा सकती है?

क्यों इतना भ्रम? राज्य और केंद्र के बीच समन्वय की कमी

क्यों इतना भ्रम? राज्य और केंद्र के बीच समन्वय की कमी

श्री गुरू तेग बहादुर जी की शहीदी दिवस को पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़ और उत्तराखंड में राज्य स्तरीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। लेकिन हिमाचल प्रदेश में यह अब तक राजपत्रित अवकाश नहीं था। इसलिए ऊना के उपायुक्त ने स्थानीय स्तर पर घोषणा की — लेकिन अगले ही दिन राज्य सरकार ने अपने आदेश को बदल दिया।

यह भ्रम सिर्फ एक अधिकारी की गलती नहीं, बल्कि एक सिस्टम की बेकारी है। जब राज्य और केंद्र के बीच समन्वय नहीं होता, तो जिला स्तर पर जिम्मेदार अधिकारी अकेले फैसले लेने को मजबूर हो जाते हैं। और आम आदमी उसके बीच फंस जाता है।

छात्रों का लाभ, नागरिकों का नुकसान

दो दिन का लगातार अवकाश — 23 रविवार और 24 या 25 सोमवार — छात्रों के लिए बड़ी खुशखबरी है। लेकिन इसके बीच एक नागरिक को अपनी नौकरी के लिए अनुमति लेनी पड़ रही है। एक ऊना के स्वास्थ्य कर्मचारी ने कहा, "हमें बताया गया कि 24 को बंद है, फिर 25 को। हमारी शिफ्ट बदल गई, लेकिन पेमेंट का कोई नियम नहीं बदला।"

इसके अलावा, राज्य सरकार की आधिकारिक वेबसाइट himachal.nic.in पर अभी तक 24 नवंबर को अवकाश का कोई उल्लेख नहीं है। जबकि उत्तर प्रदेश और दिल्ली की वेबसाइट्स पर यह तारीख जारी है। यह एक डिजिटल असंगति भी है — जहां जानकारी अलग-अलग जगह अलग दिख रही है।

आगे क्या होगा? राज्य सरकार को एक नियम बनाने की जरूरत

आगे क्या होगा? राज्य सरकार को एक नियम बनाने की जरूरत

इस तरह की गड़बड़ी अब तक एक बार नहीं हुई। हर साल गुरू तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस पर राज्यों के बीच तारीखों में अंतर देखा जाता है। कुछ राज्य 24 को मनाते हैं, कुछ 25 को। कोई राज्य दोनों दिनों को अवकाश घोषित कर देता है।

इसका समाधान सिर्फ एक चीज़ से हो सकता है — एक समान राष्ट्रीय निर्णय। जब एक गुरु की शहीदी को पूरे देश में सम्मान देना है, तो इसके लिए एक एकल तारीख निर्धारित करना जरूरी है। नहीं तो यह भ्रम लगातार दोहराया जाएगा।

ऊना के एक स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा, "हम अपने बच्चों को सिखाते हैं कि नियमों का पालन करें। लेकिन जब नियम खुद बदल जाते हैं, तो हम क्या कहें?"

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ऊना उप-मण्डल में गुरू तेग बहादुर शहीदी दिवस के लिए अवकाश कब है — 24 या 25 नवंबर?

आधिकारिक तौर पर, जतिन लाल के आदेश के अनुसार 24 नवंबर को अवकाश घोषित किया गया था, लेकिन हिमाचल प्रदेश सरकार ने बाद में इसे 25 नवंबर को स्थानांतरित कर दिया। अभी तक कोई आधिकारिक संशोधन जारी नहीं हुआ है, इसलिए अधिकांश संस्थान 25 नवंबर को अवकाश मान रहे हैं।

क्यों अदालतें 21 से 26 नवंबर तक बंद हैं?

सीनियर सिविल जज विशाल कौंडल ने पीठासीन अधिकारियों के अवकाश के कारण 21 से 26 नवंबर तक सभी सिविल और आपराधिक मामलों की सुनवाई रोक दी है। यह अवकाश धार्मिक अवकाश से अलग है और प्रशासनिक कारणों से लागू हुआ है।

क्या दिल्ली और चंडीगढ़ का अवकाश हिमाचल प्रदेश पर प्रभाव डालता है?

नहीं, हर राज्य अपने अवकाश का फैसला स्वतंत्र रूप से करता है। लेकिन जब बड़े राज्य जैसे दिल्ली और चंडीगढ़ एक ही तारीख को अवकाश घोषित करते हैं, तो अन्य राज्य उसका अनुसरण करने के लिए दबाव में आ जाते हैं — जैसा कि हिमाचल प्रदेश में हुआ।

क्या इस अवकाश को राज्य स्तर पर राजपत्रित किया जा सकता है?

हां, लेकिन इसके लिए राज्य सरकार को एक आधिकारिक अधिसूचना जारी करनी होगी। अभी तक ऐसा नहीं हुआ है, जिसके कारण जिला स्तर पर अलग-अलग निर्णय लिए जा रहे हैं। एक राष्ट्रीय निर्णय की जरूरत है।

गुरू तेग बहादुर जी की शहीदी क्यों महत्वपूर्ण है?

1675 में दिल्ली में मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर गुरू तेग बहादुर जी का शहीद होना भारतीय इतिहास का एक मोड़ था। उन्होंने धर्म की आजादी के लिए अपना सिर दिया — जिसके कारण उन्हें "हिंद चड़ा दीवान" कहा जाता है। यह दिन सिर्फ एक धार्मिक अवसर नहीं, बल्कि स्वतंत्रता की लड़ाई का प्रतीक है।

क्या इस अवकाश के लिए कोई कानूनी आधार है?

हां, भारतीय शासन प्रणाली में जिला अधिकारी राज्य के निर्देशों के बिना भी स्थानीय अवकाश घोषित कर सकते हैं — लेकिन यह अधिकार सीमित है। जब राज्य या केंद्र का आदेश आता है, तो उसका पालन अनिवार्य होता है। यहां आदेशों का टकराव हुआ है, जिसका निराकरण राज्य स्तर पर होना चाहिए।